आरोपों के घेरे में नगर परिषद उपाध्यक्ष 

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हैलो बहादुरगढ़। नगर परिषद के उपाध्यक्ष आरोपों के घेरे में घिर गए है। नगर परिषद के उपाध्यक्ष विनोद कुमार ने एक ऐसे हैंडओवर पर दस्तखत कर दिए, जिसके आधार पर कंस्ट्रक्शन कंपनी की करीब 3 करोड़ रुपए की सिक्योरिटी राशि रिलीज हो गई। हैरत की बात है यह है कि उप प्रधान उस हैंडओवर प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए अधिकृत ही नहीं हैं। शनिवार को एक दर्जन से ज्यादा पार्षदों व उनके प्रतिनिधियों ने पत्रकारवार्ता कर इस मामले में प्रशासन से निष्पक्ष जांच कर नियमानुसार कानूनी कार्रवाई की मांग की है। 
 
पार्षद संदीप कुमार, राममूर्ति के पुत्र मुकेश, प्रवीण राठी, बिमला हुड्डा के पुत्र सोनू हुड्डा, लक्ष्मी सहवाग के पति समुंद्र सहवाग, सीमा राठी के पति वजीर राठी, मोनिका राठी के पति कपूर राठी, गुरदेव राठी, रमन यादव, रेखा दलाल के पति सोनू दलाल, नीना राठी के पति सतपाल राठी व शशि कुमार आदि ने बताया कि एनसीआर प्लानिंग बोर्ड द्वारा एचएसआरडीसी के माध्यम से 28.3 किलोमीटर लंबे झज्जर-बहादुरगढ़ मार्ग का निर्माण करवाया गया था। यह कार्य 9 जुलाई 2013 मेंं शुरू हुआ था तथा 6 जुलाई 2014 को संपन्न हुआ। इस पर करीब 156 करोड़ 52 लाख रुपए खर्च किए गए थे। कंस्ट्रक्शन कंपनी की डिफेक्ट लाइबिलिटी 3 साल की थी। इसके बाद 1 सितंबर 2017 को पीडब्ल्यूडी बीएंडआर के रोहतक सर्कल के अधीक्षक अभियंता द्वारा यह क्लीयरेंस निर्माता कंपनी को दे दी गई थी। लेकिन स्ट्रीट लाइट हैंडओवर नहीं होने के कारण कंपनी की करीब 3 करोड़ रुपए की सिक्योरिटी निगम में फंसी हुई थी। नगर परिषद अधिकारियों ने कंपनी से टूटे हुए खंभे दोबारा लगाने तथा सभी लाइटें चालू होने की सूरत में ही हैंडओवर लेने की शर्त रखी थी। लेकिन इसके बाद नगर परिषद के उपाध्यक्ष विनोद कुमार ने एचएसआरडीसी के डीजीएम-4 के साथ इन लाइटों का हैंडओवर/टेकन ओवर दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर दिए। 
 
पार्षदों के अनुसार हैरत की बात यह है कि इस दस्तावेज में स्पष्ट रूप से लिखा है कि 189 खंभों में से 23 खंभे टूटे हुए हैं। अपात्र होने के बावजूद नप उपाध्यक्ष ने हैंडओवर पत्र कंपनी को थमा दिया, जिसके आधार पर उसकी करीब 3 करोड़ रुपए की सिक्योरिटी रिलीज हो गई। इसके बाद नगर परिषद की 8 दिसंबर 2017 की बैठक में चढ़ाए गए फर्जी प्रस्तावों में 10 लाख रुपए झज्जर रोड व रोहतक रोड की लाइटों की रिपेयर करने के नाम का प्रस्ताव भी पारित कर दिया गया है। जबकि यह रिपेयर उस कंपनी द्वारा करके अधिकारिक रूप से हैंडओवर किया जाना चाहिए था। ऐसा ना करके एक तरफ जहां उस कंपनी को अनुचित लाभ पहुंचाया गया वहीं नगर परिषद को खंभों व लाइटों की रिपेयर के नाम पर आर्थिक होना भी तय है। पार्षदों ने कहा कि वे इस मामले में सीएम मनोहर लाल से मिलकर निष्पक्ष जांच तथा दोषियों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की मांग करेंगे।
“मैंने केवल ठेकेदार के कार्यों की पुष्टि भर की थी किसी को पेमेंट करने या करवाने की संतुति मैंने नहीं की। कपंनी ने नप द्वारा निर्धारित शर्तों के अनुसार अपना कार्य पूरा कर लिया था ऐसे में कार्य पूरा होने पर उसका निरीक्षण करके ही मैंने नियमानुसार उनके कार्यों की पुष्टि की थी। इसमें कुछ भी गलत नहीं है।”- विनोद कुमार, वाइस चेयरमैन, नगर परिषद 

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