14 पार्षदों ने फिर खोला चेयरपर्सन के खिलाफ़ मोर्चा

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हैैलो बहादुरगढ़। नगर परिषद के 14 पार्षदों ने एक बार फिर कार्यवाही पुस्तिका में फर्जी एंट्री पाए जाने पर प्रधान के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया। पिछली बार 8 दिसंबर को हुई बैठक में नगर परिषद की कार्यवाही पुस्तिका में 89 फर्जी प्रस्ताव पास कर दिए गए हैं। पालिका अधिनियम के तहत भुगतान का अधिकार प्रधान व कार्यकारी अधिकारी को ही है। इसके बावजूद जो काम भ्रष्टाचार के कारण जांच के दायरे में हैं, उनके भुगतान की मंजूरी भी प्रोसिडिंग बुक में चढ़ा दी गई। इतना ही नहीं शुक्रवार को जब ये पार्षद पत्रकारवार्ता करने नगर परिषद में पहुंचे तो पता चला कि प्रधान ने अपने कार्यालय तथा मीटिंग हाल पर ताला लगवा दिया। जिससे पार्षदों में रोष व्याप्त है।
शुक्रवार को नगर परिषद सभागार में आयोजित पत्रकारवार्ता में पार्षद संदीप कुमार, प्रेमचंद, प्रवीण राठी, गुरदेव राठी, रमन यादव, शशि कुमार, लक्ष्मी सहवाग के पति समुंद्र सहवाग, सीमा राठी के पति वजीर राठी, रमिता चुघ के पति सुरेंद्र चुघ, रेखा दलाल के पति सोनू दलाल, मोनिका गर्ग के पति गजानंद गर्ग, राममूर्ति के पुत्र मुकेश कुमार, बिमला हुड्डा के पुत्र सोनू हुड्डा व मोनिका राठी के देवर भूपेंद्र राठी आदि ने आरोप लगाया कि 8 दिसंबर 2017 को नगर परिषद की आम बैठक में प्रधान की अनुमति से 89 फर्जी प्रस्ताव पास कर दिए गए। इन 89 में से एक भी प्रस्ताव पर किसी तरह की कोई चर्चा बैठक में नहीं की गई। अधिकांश फर्जी प्रस्तावों में प्रस्तावकों के नाम का कोई जिक्र तक नहीं है। फर्जी प्रस्तावों में सर्वसम्मति से भुगतान की मंजूरी दिखाकर सभी पार्षदों को जांच में फंसाने की साजिश रची जा रही है।
शुक्रवार को जब 14 पार्षद पत्रकारवार्ता करने नगर परिषद में पहुंचे तो प्रधान शीला राठी के निर्देश पर कर्मचारी ने प्रधान के कार्यालय तथा मीटिंग हाल पर ताला लगाकर चाबी सफाई निरीक्षक सतपाल सैनी को दे दी। पार्षदों के विरोध को देखते हुए एसडीएम जगनिवास ने सचिव मुकेश कुमार को ताला खुलवाने के लिए फोन पर निर्देश दिए। ईओ अपूर्व चौधरी ने भी सफाई निरीक्षक सतपाल सैनी को ताला खोलने के निर्देश दिए। इसके बावजूद नगर परिषद के मीटिंग हाल का ताला नहीं खुला। जिसके बाद गुस्साए पार्षदों ने परिषद के प्रांगण में बैंचों पर बैठकर पत्रकारों को नगर परिषद में चल रहे फर्जीवाड़े से अवगत करवाया।
पार्षदों ने आरोप लगाए कि फर्जीवाड़ा उजागर होने के भय के कारण ही अनेक बार मांगे जाने के बाद भी पार्षदों को तीन-तीन महीने तक प्रोसिडिंग बुक की कॉपी नहीं दी जाती। ऐसा ही मामला 28 जुलाई 2017 की बैठक के बाद देखने को मिला था। कार्यवाही पुस्तिका में फर्जीवाड़ा करते हुए 12 पार्षदों द्वारा वॉकआऊट कर बाहर चले जाने की झूठी बात लिख दी गई थी। इसके अलावा दर्जनों प्रस्ताव बिना किसी चर्चा के प्रोसेडिंग बुक में फर्जी तरीके से दर्ज कर पास कर दिए गए। जिला उपायुक्त झज्जर को साक्ष्यों के साथ लिखित में शिकायत देने पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। परिणामस्वरूप नगर परिषद में भ्रष्टाचार और भेदभाव में गुणात्मक वृद्धि हुई है। जो शासन-प्रशासन की किरकिरी का कारण बन रहे हैं। कोई कार्रवाई नहीं होने से जनता द्वारा चुने गए पार्षदों की भावनाएं आहत हो रही हैं और पालिका अधिनियम की अवहेलना भी हो रही है।
प्रस्ताव संख्या 23 के उपसंख्या 24 में स्ट्रीट लाइट रिपेयर करने वाली एजेंसी की सितंबर-अक्तूबर 2016 व अप्रैल-2017 की 6 लाख 92 हजार रुपए की अदायगी की अनुमति दी गई है। जबकि उस दौरान वर्तमान प्रधान द्वारा ही अखबारों में इस एजेंसी के काम नहीं करने बारे बयान प्रकाशित कर भुगतान रोकने की मांग की गई थी। उपसंख्या 47 के तहत वार्ड नंबर-28 में विभागीय तौर पर आरसीसी नाले के निर्माण के लिए 1 लाख 65 हजार 931 रुपए श्रीजी टाइल्स तथा 5 लाख 16 हजार 289 रुपए हरे कृष्णा ट्रेडिंग कंपनी को भुगतान की मंजूरी दी गई। जबकि यह काम नियमों की अवहेलना कर विभागीय तौर पर कराने की बजाय एजेंसी के मार्फत करवाया गया है। जिससे अधिकांश पार्षद असहमत थे, इसीलिए बिना बैठक में यह प्रस्ताव रखे, बाद में प्रोसिडिंग बुक में दर्ज कर दिया गया।
उपसंख्या 48 के तहत वार्ड-18 में फ्लड लाइट लगाने का 4 लाख 88 हजार 320 रुपए का भुगतान स्वीकृत किया गया है। वहीं उपसंख्या 50 केे तहत वार्ड-18 में स्लैब रखवाने के लिए 9 लाख 24 हजार 29 रुपए का भुगतान स्वीकृत किया गया है। जबकि पूर्व पार्षद वजीर राठी द्वारा इसमें भ्रष्टाचार की शिकायत की जांच अभी चल रही है। लेकिन इस गलत कार्य के भुगतान की सहमति फर्जी प्रस्ताव पास कर सभी पार्षदों को इसमें फंसाने की साजिश रची गई है। उपसंख्या 51 के तहत नगर परिषद में लगवाए गए सीसीटीवी के लिए 2 लाख 16 हजार 143 रुपए का भुगतान कर उसकी पुष्टि बोर्ड द्वारा की गई दिखाई गई है। लेकिन इसके अलावा भी नगर परिषद द्वारा करोड़ों रुपए के भुगतान किए जाते हैं, फिर उनकी पुष्टि बोर्ड से क्यों नहीं करवाई जाती। इसकी जांच की जाए।

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